Sunday, October 21, 2007

Tum ...

तुम मेरी ज़िंदगी मैं .... सबक नही , हादसा नही , एक अहसास बन कर रहोगे ..
अपनी चाहत की कायल नही मैं , तुम हर लम्हा नया फासना बनकर रहोगे ...
शान और तोहीन के मायने बदला करें , खुदा का बक्श हुआ अहसान बन कर रहोगे ...
अनजान बानो तो बना करो .... तमन्ना जगाने वाले,
सब की नज़रो मैं गुमनाम बन कर रहोगे ......

ज़िंदगी तुम से है .... तुम पर टिकी रहेगी ...
ज़हन मे मेरे , भगवान बन कर रहोगे ....
तुम्हारी दी हुई तन्हाईयो और बुराइयों का गिला नही मुझे ....
इस अडिग विश्वास के पीछे जो नाम छुपा है ...
इस नाम , इस रूप का विस्तार तुम रहोगे !!!!

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