बस तेरी हसरत की खातिर शहीद हो गयी हस्रतें,
बेनाम ज़िंदगी जीने का , कोई ख्वाब तो ना था हमारा,
अब जाग कर करें भी तो क्या ?
सामने मंज़िल है ऐसा मुकाम था हमारा ,
रास्ते तो क्या हैं ? कही ना कही तो जाना है ..
मक़सद यही है हमारा ,
इस सफ़र का सार पाना है ...
टूट गया है किस्मत का तारा
जब से तुम ने नज़रें फैरी
ज़िंदगी और जला ले हम को
ख़ाक हो कर ही सही
वैसे भी माटी के हो जाना है
Monday, October 22, 2007
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Aabhas
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