दुनिया देखी , जहान देखा
परिन्दो की तारहा भटकते हुए ,
रोज़ नयी ज़मीन नया आसमान देखा ,
देखा ओ बहुत कुछ यंहा मगर ,
हँसते खेलते .सोचते समझते
हर पल तुम मे हम ने एक नया इंसान देखा !
Monday, October 22, 2007
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Aabhas
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