मायने ज़िंदगी के हर रोज़ बदल जाते हैं,
जिस राह पर चलतें हैं , नये मुकाम नज़र आते हैं ...
लगता है कभी दौड़ कर पूरा कर लेंगे यॅ सफ़र ...
और कभी हर डगर मील के नये पत्थर मिल जाते हैं ,
कभी समर्पित करतें है तन और मन को ....
जलते हैं आग मे सपनो की चिता की ....
और कभी भीग जाते हैं बारिश मे,
किसी नये हालात के बदल जब बरसे तो ....
हर हालात ,हर रस्म,शिद्दत से निभाते हैं
मायने ज़िंदगी के हर रोज़ बदल जाते हैं .....
ख़यालो के आसमान मे कभी ....
उमीदो के परिंदे फदफ़ड़ते हैं
कोशिश करते रहते है कुछ ना कुछ
और फिर गुमनाम से बैठ जाते हैं .....
कई बार बदली गयी है अपनी किस्मत ....
राह मे आने जाने वालो को अपनी दास्तान सुनाते हैं
समझ नही पायें हैं अब तक ... क्यू इतने तूफ़ान आते हैं ,
मायने ज़िंदगी के हर रोज़ बदल जाते हैं .....
Sunday, October 21, 2007
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Aabhas
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