Monday, October 22, 2007

har rasta mudata hua ...

चाँद उगाता हुआ, सूरज ढलता हुआ,
कुछ टूटे रिश्तो की डोर,
और यॅ मोम का दिल हवा मे घुलता हुआ,
धूप का आँचल खो गया,
सायों के हवाले यॅ आसमान हो गया
आँख खुली रह गयी,
सितारे चमके मेरी बदनासीबी पर हँसते हुए,
और मेरा ज़मीर रोता हुआ,
हम अकेले रह गाये,
और ज़माना हमे ताकता हुआ,
क्या थे क्या हैं पता नही,
पर उस शक्ष से पूछो,
जो कभी मुड़ा नही मेरी तरफ़....
और हर रास्ता मुड़ता हुआ

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Aabhas

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