1) हम क्यू रोए ग़ालिब हर शय को ?
उसने भी तो एक शक्श खोया है ,
हमारे दिल का दर्द क्या काम होगा
हूँने हमे तन्हाई से ज़्यादा मुलाक़ातों मे रोया है ,!!!
2) तुम तो चले गाये थाइ कब से इंतज़ार हम ने किया,
बदनासीबी ही होगी हमारी काफ़िर
तेरे धोको पर ऐतबार हम ने किया .
3) शायद उस शक्श को मायने हमारे पता नही ,
हम चाहते रहे उनको ता उम्र ,
पर कभी उसने अपने यारों मे ना शुमार मेरा किया .
4) भूल भी जाए तो आज,
क्या भुलाया जा सकेगा
तेरी चाहतों मे ग़ालिब हमने भी
कई रात तड़प तड़प कर गुज़ारी हैं !!!
Monday, October 22, 2007
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Aabhas
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