Sunday, October 21, 2007

Rishte ~

बड़े रोमांचक होते है यॅ रिश्ते जो ख़ून के नही होते ,
पतंग से होते है रंग बिरंगे ,.,......
आखो को भर देते हैं रांगो से ,
नज़रे टीका कर इनपर बोज़िल शामे काट जाती हैं ,
इस कला पर हाथ आज़मा लो,
हर बात बदल जाती है ......
ऐसी पतांगे उड़ाना सब के बस की बात नही ...
उड़ते उड़ते कब काट जाए पता नही लगता ,
इन बेपंख पंछीयों के काट कर गिर जाने मे आवाज़ नही होती ....

पर अगर विश्वास कॅया मंजा हो तो बात ही कुछ और है ....
शक़ से सुती हुई,तैयार प्रतिद्वंदी की डोर है .
कब ढील दो कब लपेट लो , सब वक़्त और हालात तय करते हैं,
ऐसी पतन्गो के रास्ते मौसमी हवाओ के साथ कभी कभी बदलते हैं

जीवन मैं एक बार ज़रूर कोई बड़ा दाव लगाया जाता है .....
हो जाए ज़माना चाहे दुश्मन , पर पेंच लड़ाया जाता है ...
जो टिक जाए विशम हवा मे ...
वो पतंग जीत जाती है ....
वरना सारी दुनिया चोर है ....
पतंग तो क्या , डोर भी लूट ली जाती है !!!!

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