अगर चाहत हो अपनी बर्बादी का नज़रना करने की,
अगर चाहत हो अपनी उम्र दर्द मैं डूबने की ,
अगर चाहत हो ख़ामोशी से सहते जाने की,
अगर चाहत हो ग़म की भूख बढ़ाने की ,
अगर चाहत हो हर पल नया सदमा पाने की,
तो मेरे दोस्त किसी से बेपनंहा मोहोबबत कर लेना,
फिर उसे बेवाजहा भूला देना ,
चाहतें सारी पूरी हो जाएँगी,
और तुम उसकी यादो मैं अमर हो जाओगे ,
उसकी पंहा मे जा पाओ, ना जा पाओ
पर उसकी अकरी सांसो तक "बेवफ़ा" की टार पहचाने जाओगे ,
मोहोबबत क्या देगी ? जुड़ा कर देगी
बेवफ़ा होकर तुम मर ना पाओगे ,
कुछ नया ही सिलसिला होगा,
पर कभी भुलाए न जाओगे !!!
Monday, October 22, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Aabhas
अंतरात्मा का द्वंद शांत नहीं होता। स्थिरता और ठहराव में शायद ज़मीन आसमान का अंतर होता है।जीवन स्थिर हो भी जाए तो , च...
-
ज़रा, कतरा और जां सी ज़िंदगी ... कभी सुभहा कभी शाम सी ज़िंदगी .... कभी कशमकश कभी आराम , कभी चाहत कभी नाकाम सी ज़िंदगी .... हर रांग मैं डू...
-
ज़िंदगी प्यार की छोटी होते है , चाहे कितनी गहरी हो दीवानगी ... मंज़िल तक पहुच जाए , यॅ ख़्वाहिश सब की कान्हा पूरी होती है ??? हर मुकाम प...
-
ज़िंदगी नयी बसा रहा है कोई ... सूखे दरखतो पर बहार ला रहा है कोई, हमै बैर नही किसी की ख़ुशियों से .... मेरी मज़ार से दूर जेया रहा है कोई , ...
No comments:
Post a Comment