Monday, October 22, 2007

Nazraana

अगर चाहत हो अपनी बर्बादी का नज़रना करने की,
अगर चाहत हो अपनी उम्र दर्द मैं डूबने की ,
अगर चाहत हो ख़ामोशी से सहते जाने की,
अगर चाहत हो ग़म की भूख बढ़ाने की ,
अगर चाहत हो हर पल नया सदमा पाने की,
तो मेरे दोस्त किसी से बेपनंहा मोहोबबत कर लेना,
फिर उसे बेवाजहा भूला देना ,
चाहतें सारी पूरी हो जाएँगी,
और तुम उसकी यादो मैं अमर हो जाओगे ,
उसकी पंहा मे जा पाओ, ना जा पाओ
पर उसकी अकरी सांसो तक "बेवफ़ा" की टार पहचाने जाओगे ,
मोहोबबत क्या देगी ? जुड़ा कर देगी
बेवफ़ा होकर तुम मर ना पाओगे ,
कुछ नया ही सिलसिला होगा,
पर कभी भुलाए न जाओगे !!!

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