हर ख़ुशी अजनबी दोस्ती सी रहती है ,
सब कुछ पास होता है फिर भी कुछ कमी सी रहती है
मौसम ख़ुशनुमा बहारो के भी होते हैं,
पटझड़ मैं भी फूलो के चहरे पर मासूमी सी रहती है ,
अफ़साने वीराहा के सुने हैं हज़ारो,
फिर भी दो पल प्यार से बीत सके
क्यू यॅ ज़िद बनी सी रहती है?
हासिल क्या हो जाएगा अगले पल को,
जो और जीने को बेचैनी सी रहती है ?
नज़ारे झुका कर चलते रहना दोस्तो,
राह मे बिखरे पत्थरों मे से कुछ मे ज़िंदगी भी रहती है,
सब कुछ पास होता है फिर भी कुछ कमी सी रहती है !!!!!
Monday, October 22, 2007
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Aabhas
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