मैं अहम हूँ,
कभी हक़ीकत कभी वहम हूँ
किसी काया मे प्राण,
किसी अंतरिक्ष मे ग्यान,
कभी साधारण कभी गहन हूँ,
मैं अहम हूँ .
कभी स्पंदन जीवन सा ...
कभी रहस्य घनघोर बड़ा,
पहचान हूँ,स्वाभिमान हूँ,
कभी स्वार्थ कभी अभिमान हूँ,
मैं अहम हूँ
एक पहेली गूढ़ , एक वहम हूँ !!!
Sunday, October 21, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Aabhas
अंतरात्मा का द्वंद शांत नहीं होता। स्थिरता और ठहराव में शायद ज़मीन आसमान का अंतर होता है।जीवन स्थिर हो भी जाए तो , च...
-
ज़रा, कतरा और जां सी ज़िंदगी ... कभी सुभहा कभी शाम सी ज़िंदगी .... कभी कशमकश कभी आराम , कभी चाहत कभी नाकाम सी ज़िंदगी .... हर रांग मैं डू...
-
ज़िंदगी प्यार की छोटी होते है , चाहे कितनी गहरी हो दीवानगी ... मंज़िल तक पहुच जाए , यॅ ख़्वाहिश सब की कान्हा पूरी होती है ??? हर मुकाम प...
-
ज़िंदगी नयी बसा रहा है कोई ... सूखे दरखतो पर बहार ला रहा है कोई, हमै बैर नही किसी की ख़ुशियों से .... मेरी मज़ार से दूर जेया रहा है कोई , ...
No comments:
Post a Comment