एक मेरा दोस्त जो मायूस तन्हाई है ,
एक मेरी यार किस्मत ,
जिसने ठोकर दर बदर की खाई है ...
आसमानो मे ना उड़े हम ,
ना कभी कोई गम हुआ ,
पर ए कुदरत क्या मुसीबत ,
चैन से लेने तो दो जो चाँद साँस मैने पाई हैं ,
मिल भी जाता और कुछ तो ,
और ज़्यादा क्या मिला था ,
एक कमी थी गम की
जो आहिस्ता घुल ही रहा था ,
खो गया है चैन सारा शायद तेरी यॅ बेवफ़ाई है ,
और अब क्या पायगे साहब , हम ने ख़ुद ही जान लूटाई है ....
Monday, October 22, 2007
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Aabhas
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