Monday, October 22, 2007

Purpose of life

हसरत है मेरी,उस ज़हन मे सो रहे इंसान को जगा सकू,
आरज़ू है मेरी तुम को कुछ बना सकू,
मंज़िल पर ना पहुच सकी तो क्या,
चाहत है मेरी, तुम को मंज़िल का रास्ता दिखा सकू,
बेकार सी तो कब से पड़ी है ज़िंदगी,
किस्मत है मेरी जो काम तुम्हारे आ सकू,
आज ही पता चला है,मुस्कुराते हो तुम भी
तमन्ना है मेरी ,ज़िंदगी मे तुम्हारी ख़ुशियाँ मैं बरसा सकू.

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