Monday, October 22, 2007

pyaar kaun paata hai ?

आँखे किसी उमीद से चमकें ,
इस से पहले यॅ भी समझ लो ,
यहा प्यार किसी को कब मिला है ?

लो, इस हवा को गहरी साँस मैं बाँध लो ,
तन्हाई की महक को अभी से महसूस कर लो ,
ता की जब यॅ तुम्हारा दरवाज़ा खटखटाए,
तब ऐसा ना लगे कोई अजनबी आया है,

ना, ना ,ना , छोड़ना मत इन सांसो को .... थामे रखना ,
प्यार की ख़ुशबों का चाढ़ता नशा उतर ना जाए कही,
सपनो मे सजी दुल्हन की माँग से लाली आँखो तक ना उतर आए

पाषण से अब तक प्यार तो कभी मशहूर ही नही था ,
मशहूर हो है जुदाई , जिसे पा कर हर प्यार अमर हो जाता है ,
एक फासना बन कर ज़बानो पर चढ़ जाता है ,

मैं कौन होती हों तुम्हे रोकने वाली ,
पर बस समझाना चाहती हों,
यंहा प्यार कौन पाता आयी ?
जो पाता है तन्हा हो जाता है ...
तन्हाइयूँ को भी आकचे से देखा है मैने ,
तन्हा हो कर कब कान्हा कौन जी पाता है ?

बोलो यंहा प्यार कौन पाता है ?
तुम ही बोलो यहा प्यार कौन पाता है ?

No comments:

Aabhas

अंतरात्मा     का  द्वंद  शांत  नहीं  होता। स्थिरता  और  ठहराव  में  शायद  ज़मीन  आसमान  का अंतर  होता  है।जीवन  स्थिर  हो  भी  जाए  तो , च...